UP Shiksha MItra Allahabad High Court Decision News July 2015

UP Shiksha MItra Allahabad High Court Hearing/ Decision News 23 July 2015: प्रदेश के सभी शिक्षामित्र और समायोजित शिक्षक यह भी जान लें कि शिक्षामित्र जो शिक्षक बने हैं, एन०सी०टी०ई० से अनुमति मिलने के बाद ही आपका प्रशिक्षण हुआ है। और एन०सी०टी०ई० से अनुमति मिलने के बाद ही शिक्षक पद पर समायोजित भी किये गये हैं। प्रदेश की सरकार ने आर०टी०ई० एक्ट 2009 में वर्णित अपने विशेषाधिकार के अन्तर्गत बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली 1981 में संशोधन के उपरान्त टी०ई०टी० से छूट देकर शिक्षक पद पर समायोजन का निर्णय लिया है जो कानूनतः बिल्कुल सही है। 
यह केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं अपितु उत्तरांचल में मा० उच्च न्यायालय के डबल बेंच के फैसले के बाद टेट से छूट देते हुए शिक्षक बनाया गया है। महाराष्ट्र सरकार ने भी एन०सी०टी०ई० से बाकायदा अनुमति लेकर बिना टेट शिक्षक पद पर समायोजन किया है। मित्रों एक बात और बता दें कि शिक्षामित्र रुपी अप्रशिक्षित शिक्षक अथवा पैराटीचर 2001 से 2009 तक ही नियुक्त किये गये हैं, जो आर०टी०ई० एक्ट 2009 लागू होने के पहले से हैं और प्राथमिक शिक्षा में शिक्षण कार्य कर रहे हैं। कुछ लोग मुगालते में हैं तथा ज्यादा काबिल बनने के चक्कर में खुद के गलत रहने के बावजूद भी शिक्षामित्रों को गलत साबित करने में अपना समय और दिमाग खपा रहे हैं।

प्यारे मित्रों, मा० उच्चतम न्यायालय में संगठन की तरफ से किस अधिवक्ता को रखा गया है, इसको लेकर अधिक परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, आप लोगों की लड़ाई के लिए वे सभी प्रबन्धन कर लिए गये हैं जिसकी आप लोग उम्मीद करते हैं, तथा 27 को पता चल जाएगा कि कौन कितने पानी में है। मा० उच्चतम न्यायालय में हम सबके पक्ष को रखने के लिए आप लोगों की उम्मीदों के अनुरुप राष्ट्रीय स्तर के उत्कृष्ट अधिवक्ताओं को संगठन अनुबन्धित कर चुका है। कुछ कतिपय कारणों से नाम को गुप्त रखा गया है जिसे जानने का अत्यधिक प्रयास न किया जाना एक दृष्टिकोण से आपके हित में है। समय आने पर सब कुछ स्वतः ही आप लोगों के समक्ष होगा। प्रिय शिक्षामित्र एवं समायोजित शिक्षकों आप लोग अपने कर्तव्यों का पालन करें व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करें। संगठन का कर्तव्य है आप लोगों को विजय श्री दिलाना, और संगठन हर हाल में आपको विजय दिलाएगा। धन्यवाद आपका अपना प्रदेश अध्यक्ष, गाजी इमाम आला, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ, उत्तर प्रदेश॥

प्रदेश के समस्त शिक्षामित्र/समायोजित शिक्षक भाइयों एवं बहनों, आप लोगों को अवगत कराना है कि विगत 6 जुलाई को मा० उच्चतम न्यायालय में प्रदेश के शिक्षामित्रों एवं समायोजित शिक्षकों के खिलाफ कुछ कतिपय लोगों द्वारा अपने अदूरदर्शिता के कारण बिना वजह झूठी राजनीति चमकाने हेतु झूठे एवं गलत तथ्य पेश करते हुए मा० उच्चतम न्यायालय को गुमराह करने का कुप्रयास किया गया, तथा समायोजित शिक्षकों को शिक्षक पद से हटाने का लम्बा चौड़ा भाषणबाजी किया जाने लगा। शिक्षामित्र कोई मूली गाजर नहीं है कि जब चाहे, जो चाहे उखाड़कर फेंक दे। शिक्षामित्र वह वटवृक्ष हैं जो आने वाले समय में आप लोगों द्वारा किये गये गलतियों का आपको एहसास करा देंगे। आज ऐसे लोग शिक्षामित्रों को आइना दिखाना शुरु कर दिये थे, जिनका प्राथमिक विद्यालय में नियुक्ति का कोई आधार ही नहीं है। फिरभी मा० न्यायालय में रोना रोकर कोई शिक्षक बन जाए, इससे शिक्षामित्रों को कुछ भी लेना-देना नहीं था। लेकिन हद तो तब हो गयी जब ये अदूरदर्शी लोग मा० उच्च न्यायालय इलाहाबाद व लखनऊ खण्डपीठ में दो दर्जन रीट पेटिशन दाखिल किये, शिक्षामित्र और संगठन अपना बचाव ही किये।

लेकिन जब पाप का घड़ा भर जाता है तो लोग अपनी सीमा रेखा को भूलकर उसे भी पार कर जाते हैं और तब बात देख लेने की हो जाती है। जो लोग कुछ समय के लिए बहुत ज्यादा खुश नजर आ रहे हैं, उनकी सारी खुशी बहुत जल्द छिनने वाली है। हम लोगों ने तो टी०ई०टी० 2011 में व्याप्त भ्रष्टाचार सार्वजनिक हो जाने के बाद भी किसी का नुकसान करने का काम नहीं किया। जिस टी०ई०टी० 2011 में भ्रष्टाचार का कोतवाली अकबरपुर में एफ०आई०आर० दर्ज है, मौके पर 73 लाख रु० पकड़ा गया, मौके पर पकड़े गये लोगों ने अपना जुर्म कबूल किया कि ये पैसा हजारों टी०ई०टी० अभ्यर्थियों से नम्बर बढ़वाने के लिए लिया गया, हजारों अभ्यर्थी लाखों रुपया देकर टी०ई०टी० में नम्बर बढ़वाकर नियुक्ति प्रक्रिया में चयनित हो गये। पूरे प्रदेश में सफेदा लगाकर नम्बर बढ़वाने के जाँच की सी०डी० संगठन के पास है।

मार्च 2014 के बाद एन०सी०टी०ई० ने बी०एड० अभ्यर्थियों को जो सशर्त अनुमति दिया था, वह समय भी समाप्त हो गया था। फिर भी हमने कभी विरोध नहीं किया था। मित्रों अब जब लड़ाई आमने-सामने आ चुकी है तो आने वाले 27 तारीख को सबको अपनी ताकत का अंदाजा लग जाएगा। प्रदेश के शिक्षामित्र 27 तारीख को मा० उच्चतम न्यायालय में सुनवाई के दौरान अपना बचाव करने के साथ साथ आई०ए० दाखिल कर उन भ्रष्टाचार के मामलों को सामने लाएँगे, व मा० उच्चतम न्यायालय को इससे अवगत कराया जाएगा कि बेसिक शिक्षा में इनकी नियुक्ति की समय सीमा भी समाप्त हो चुकी है।