UP Vyapam (Uttar Pradesh Lok Sewa Ayog and other recruitment): उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग एवं अन्य भर्ती संस्थाओं के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भी सवालों के घेरे में है।
चौतरफा दबाव
के बाद प्रदेश सरकार ने उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा
चयन बोर्ड में स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति तो कर दी लेकिन लोक सेवा आयोग के
चेयरमैन के चयन पर विवाद बरकरार है। प्रतियोगियों ने आयोग के चेयरमैन डॉ.
अनिल यादव पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए न्यायालय में याचिका भी दाखिल कर रखी
है।
नियमों की अनदेखी कर आयोग के अध्यक्ष डॉ. यादव के चयन का आरोप है। इन्हें
83 अन्य दावेदारों पर वरीयता दी गई है। इसमें वरिष्ठ प्रोफेसर, आईएएस,
कर्नल समेत कई ऐसे लोग शामिल रहे जो अलग-अलग क्षेत्रों में शीर्ष पदों पर
काबिज रहे। प्रतियोगियों की ओर से अन्य दावेदारों की तुलना में इनकी
योग्यता पर भी सवाल उठाए गए हैं। इस बाबत दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार
से जवाब मांगा है। इस पर 27 जुलाई को सुनवाई होनी है। याचिकाकर्ता अवनीश
का कहना है कि यादव को मैनपुरी के डीएम ने चरित्र प्रमाण पत्र जारी किया
है, जबकि वह मूलत: आगरा के हैं।
इसी तरह से उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के कार्यवाहक
चेयरमैन रहे डॉ. रामवीर यादव एवं दो अन्य सदस्यों की नियुक्ति व माध्यमिक
शिक्षा चयन बोर्ड की कार्यवाहक अध्यक्ष रहीं अनीता यादव एवं दो अन्य
सदस्यों की नियुक्ति पर भी हाईकोर्ट में याचिका है। इस मामले में कोर्ट ने
सरकार से जवाब मांगा है। हालांकि इस दबाव के बाद सरकार ने उच्च शिक्षा सेवा
आयोग में लाल बिहारी पांडेय एवं चयन बोर्ड में डॉ. सनिल कुमार की अध्यक्ष
पद पर नियुक्ति कर दी है लेकिन कार्यवाहक अध्यक्ष का कार्यभार देखने वाले
दोनों पदाधिकारी सदस्य अब भी हैं।
जाति विशेष के अभ्यर्थियों के चयन का आरोप, हाईकोर्ट
ने मांगा है जवाब
आयोग की ओर से कृषि विभाग में तकनीकी सहायकों के 6628 पदों पर भर्ती की गई।
विज्ञापन के बाद इसमें अन्य वर्ग की सीटें कम कर ओबीसी में शामिल करने का
आरोप है। विज्ञापन में सामान्य के 3616, एससी के 2221, एसटी के 235 एवं
ओबीसी के 566 पद बताए गए थे, लेकिन बाद में ओबीसी के पदों की संख्या 2029
कर दी गई। इसके विपरीत सामान्य के पद 2515 और एससी के 1882 रह गए। अंतिम
परिणाम में कुल चयनितों में से 3116 अन्य पिछड़े वर्ग के हैं। हालांकि आयोग
ने अंतिम परिणाम में चयनितों के नाम नहीं बताए हैं लेकिन अभ्यर्थियों का
आरोप है कि ओवरलैपिंग करके चयनित 1200 ओबीसी में ज्यादातर एक ही जाति के
हैं। इसके विरोध में अभ्यर्थियों की याचिका पर हाईकोर्ट ने आयोग से जवाब
मांगा है। वहीं अभ्यर्थी अशोक पांडेय ने आरटीआई के तहत इस भर्ती में चयनित
प्रतियोगियों का पूरा विवरण मांगा है, जिसका जवाब अब तक नहीं मिला।
लोअर में एक जाति के अभ्यर्थियों को बराबर नंबर
लोअर-2008 में भी एक खास जाति के अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में बराबर अंक
देने का आरोप है। लगातार आंदोलनों के बावजूद आयोग ने कई भर्तियों का
अंकपत्र जारी नहीं किया। लोअर सबऑर्डिनेट-2008 और 2009 के अंतिम परिणाम
महीनों पहले घोषित हो चुके हैं लेकिन इनमें शामिल अभ्यर्थियों का अंकपत्र
अब तक नहीं जारी किया गया। हालांकि प्रतियोगियों का दावा है कि उन्होंने
2008 में चयनित एक खास जाति के अभ्यर्थियों की मार्कशीट शासन से हासिल की
है। इनमें 72 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में 50 में से 34 और 35 अंक मिले
हैं। आंदोलनरत प्रतियोगियों ने ऐसे अभ्यर्थियों की सूची भी जारी की है।
सीधी भर्ती में ‘खास’ पर मेहरबान रहा आयोग
आयोग की सीधी भर्ती में भी विशेष वर्ग के अभ्यर्थियों को खास तवज्जो दी गई
है। प्रतियोगियों ने 23 भर्तियों का विवरण जुटाया है। इसमें ओबीसी के लिए
निर्धारित सीटों से डेढ़ गुना से भी अधिक पद पर एक खास जाति के अभ्यर्थियों
का चयन हुआ है। प्रवक्ता इलेक्ट्रानिक्स के कुल 41 पदों में से 23 पर खास
जाति के लोगों का चयन है। ओबीसी की 10 सीटें हैं। इसी तरह से जूनियर
इंजीनियर कंप्यूटर के 48 पदों में से 20 एक ही जाति के चयनित हैं। यही
स्थिति अन्य भर्तियों में भी है।