अंबेडकर विवि में बिना पढ़े बीएड की
डिग्री पाने वाले सरकारी शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं। विशेष जांच
दल (एसआइटी) ने प्रदेश की सभी डायट से विवि की बीएड सत्र
2005-06 की डिग्री से नौकरी करने वाले शिक्षकों का रिकॉर्ड
मांगा है। इसमें सामने आया है कि करीब सात हजार शिक्षक बीएड की
फर्जी डिग्री से नौकरी कर रहे हैं। इस मामले में छह अगस्त को
हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।
एसआइटी की जांच में विवि की बीएड सत्र 2005-06 में 10 हजार रोल
नंबर जेनरेट (बिना पढ़े अंकपत्र देना) के केस सामने आए हैं। टीम फर्जीवाड़े
की कड़ी से कड़ी जोड़ रही है। प्रदेश के सभी डायट से विवि की बीएड
सत्र 2005-06 की डिग्री से नौकरी कर रहे शिक्षकों के रिकॉर्ड की
पड़ताल की जा रही है। विवि से जब्त किए गए रिकॉर्ड और कॉलेजों
से मिले रिकॉर्ड से शिक्षकों की डिग्री का सत्यापन कराया जा
रहा है। इसमें करीब सात हजार शिक्षक बीएड की फर्जी डिग्री से
नौकरी करने का मामला सामने आया है। इसके सुबूत एकत्रित किए जा
रहे हैं। इसके बाद विवि के अधिकारियों, कर्मचारियों और सरकारी
नौकरी कर रहे शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
बीएड फर्जीवाड़े में एसआइटी जांच से सरकारी नौकरी कर रहे
शिक्षकों में खलबली मची हुई है। वे विवि में संपर्क कर रहे हैं और अपनी
बीएड मार्कशीट के बारे में जानकारी ले रहे हैं। उन्हें भी आशंका है कि
बीएड की फर्जी डिग्री जारी तो नहीं कर दी गई है।
हाईकोर्ट में जाने से बच रहे विवि के प्रतिनिधि
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पहुंचने वाले विवि के प्रतिनिधि को
फटकार लगाई जा रही है। बीएड मामले में विवि फोइल देने का वादा
करने के बाद मुकर गया है। जबकि हाईकोर्ट में विवि से बीएड सत्र
2005-06 का मूल्यांकन के बाद तैयार की गई फोइल का रिकॉर्ड मांगा
जा रहा है।
पूर्व कुलपति और कॉलेज संचालक मास्टर माइंड
बीएड सत्र 2005-06 की परीक्षा तीन साल बाद हुई थी। औटा
अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र चौहान ने बताया कि परीक्षा में 4300 अतिरिक्त
छात्रों को बिठाया गया, जबकि इनका प्रवेश ही नहीं हुआ था। यही
नहीं कॉलेजों में बीएड की सीट से ज्यादा छात्र बिठा दिए गए थे। उस
समय तत्कालीन कुलपति केएन त्रिपाठी थे। उन्होंने एक कॉलेज संचालक
के माध्यम से बीएड फर्जीवाड़ा किया था। इस मामले में सेक्शन आठ
की जांच कमिश्नर एसएम बोबड़े को सौंपी गई थी।