दर्जनों समायोजित शिक्षामित्रों के जेल जाने की नौबत गोरखपुर (एसएनबी)

पहले शिक्षामित्र बने और फिर लंबे इंतजार के बाद सहायक अध्यापक बनकर समाज में गुरूजी के रूप में पहचान बनायी मगर कारस्तानी ऐसी कि अब उनके जेल जाने की नौबत आन पड़ी है। दरअसल, समायोजित शिक्षामित्रों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन में फर्जीवाड़ा उजागर होने लगा है। सूत्रों के मुताबिक दर्जनों समायोजित शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्र के फर्जी होने की पुष्टि बोर्ड कार्यालय से हो चुकी है। 

सत्यापन का कार्य अभी चल रहा है ऐसे में यह माना जा रहा है कि इस फर्जीवाड़ा में अभी कई और नाम शामिल हो सकते हैं। सनद रहे कि जिले के 1403 शिक्षामित्रों को गत अगस्त में सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया गया था। सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त होने के बाद उनके शैक्षिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया जा रहा है। इसके लिए उनका विवरण यूपी बोर्ड एवं संबंधित विविद्यालय को भेजा गया है।
सूत्रों के मुताबिक फिलहाल 1247 समायोजित शिक्षामित्रों का इंटरमीडिएट का सत्यापन बोर्ड द्वारा यहां भेजा गया है। इसमें दर्जनों समायोजित शिक्षामित्रों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों में गड़बड़ियां पायी गयी हैं। कुछ शिक्षामित्रों के नाम व रोल नंबर सही हैं लेकिन प्राप्तांक व पूर्णाक में अंतर है। कुछ शिक्षामित्रों के नाम व रोल नंबर सही पाए गए हैं लेकिन सत्यापन सूची में उनके पिता के नाम कुछ और ही है। इसके अलावा खंड शिक्षाधिकारी स्तर से विद्यालय स्तर पर कराए गए सत्यापन में भी कुछ मामले फर्जी पाए गए हैं।

उरुवां ब्लाक के एक समायोजित शिक्षामित्र ने जो शैक्षिक प्रमाणपत्र जमा कराया है वह विद्यालय की क्रास लिस्ट से तालमेल नहीं खा रहा है। इस शिक्षामित्र के हाईस्कूल का रोल नंबर क्रास लिस्ट में किसी और के नाम का है। इसी तरह प्राथमिक विद्यालय बरही में तैनात सहायक अध्यापिका के हाईस्कूल प्रमाणपत्र में फर्जीवाड़ा पहले ही पकड़ में सामने आ चुका है। सूत्रों के मुताबिक अभी तो सिर्फ 1247 समायोजित शिक्षामित्रों का सत्यापन आया है। वह भी इंटर का। हाईस्कूल एवं विविद्यालय से सत्यापन आना बाकी है। ऐसे में इस फर्जीवाड़ा में अभी कई नाम और शुमार हो सकते हैं। गोरखपुर से भेजी गयी थी सत्यापन सूची : समायोजित शिक्षामित्रों के सत्यापन को लेकर जमकर ‘खेल करने की कोशिश हुई। सूत्रों के मुताबिक बीते दिनों बीएसए दफ्तर को एक सत्यापन सूची प्राप्त हुई। इसमें बोर्ड सचिव के हस्ताक्षर को लेकर विभाग को संदेह हुआ। इसकी जब पड़ताल करायी गयी तो पता चला कि यह सत्यापन सूची गोरखपुर से ही रजिस्ट्री हुई थी। नियमानुसार इसे बोर्ड के वाराणसी कार्यालय से आना चाहिए था। इस धोखाधड़ी का खुलासा होने के बाद बीएसए कमलाकर पांडेय ने बोर्ड से फिर से सत्यापन भेजने का अनुरोध किया। इसके बाद 1247 समायोजित शिक्षामित्रों के इंटर का सत्यापन यहां पहुंच गया है। ताल ठोंकने वाले शिक्षामित्र नेता भी शक के दायरे में : समायोजित शिक्षामित्रों के संगठन की रहनुमाई करने वाले एक नेताजी भी शक के दायरे में आ गये हैं। 

सूत्रों के मुताबिक नेताजी के इंटर सत्यापन में बोर्ड से पेंडिंग लिखकर आया है। यहां बताते चलें कि यह वहीं नेताजी हैं जिन्होंने बीते दिनों समायोजित शिक्षामित्रों के वेतन जारी करने की मांग को लेकर विभागीय अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। उन्होंने बीएसए से कहा था कि अगर किसी भी शिक्षामित्र के रिकार्ड में गड़बड़ी पायी जाए तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो। लेकिन अब खुद नेताजी शक के दायरे में आ गए हैं। विभाग ने नेताजी की कुंडली खोलनी शुरू कर दी है। सत्यापन सूची में अपुष्ट व पेंडिंग : बोर्ड द्वारा सत्यापन सूची में पुष्ट, अपुष्ट एवं पेंडिंग शब्द का इस्तेमाल किया गया है। प्रमाणपत्र सही पाए जाने पर संबंधित शिक्षामित्र के नाम के आगे पुष्ट लिखा गया है। जिनके प्रमाणपत्र गलत अथवा संदिग्ध मिले हैं उनके नाम के आगे अपुष्ट और जिनके प्रमाणपत्र का सत्यापन नहीं हो सका है उनके नाम के आगे पेंडिंग लिखकर भेजा गया है। फर्जीवाड़ा करने वालों पर होगा एफआईआर बीएसए कमलाकर पांडेय ने कहा कि अगर किसी भी समायोजित शिक्षामित्र द्वारा फर्जीवाड़ा का मामला पकड में आएगा तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षामित्रों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन तेजी से कराया जा रहा है। 

फिलहाल एक समायोजित शिक्षामित्र के मामले में फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है। उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गयी है। उन्होंने कहा कि फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद संबंधित शिक्षामित्र की सेवा समाप्ति के साथ ही उसके खिलाफ धोखाधड़ी से मानदेय/वेतन भुगतान लेने का मामला दर्ज कराया जाएगा। उनसे भुगतान हुए रुपयों की फर्जीवाड़ा