Bihar Niyojit Teacher Fake Certificate Verification Court Decision News 2015: स्वेच्छा से छोड़ दो नौकरी, कर देंगे माफ

Bihar Niyojit Teacher Fake Certificate Verification Matter Patna High Court Decision: पटना हाई कोर्ट का अनोखा फैसला- स्वेच्छा से छोड़ दो नौकरी, कर देंगे माफ

पटना। पटना हाईकोर्ट ने जाली प्रमाण पत्र के आधार पर बने शिक्षकों को एक आफर पेश किया है। मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी की खंडपीठ ने ऐसे शिक्षकों को एक सप्ताह के अंदर शिक्षक का पद छोडऩे को कहा है। यदि ये शिक्षक अपनी स्वेच्छा से नौकरी छोड़ देते है तो उन्हें माफ कर दिया जाएगा। उन पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। ऐसे शिक्षकों पर आपराधिक मामला भी नहीं चलेगा। लेकिन इसके बाद भी उन्हें यह आफर मंजूर नहीं है तो अंजाम के लिए उन्हें तैयार रहना पड़ेगा। यह अनोखा आदेश शायद ही कभी पारित किया गया हो।

यह आदेश सोमवार को मुख्य न्यायाधीश एवं न्यायाधीश सुधीर सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। रंजीत पंडित एवं अन्य लोंगों ने याचिका दायर कर अवैध रूप से शिक्षकों को हटाने की मांग की थी। खंडपीठ ने इस तरह के शिक्षकों पर हो रही कार्रवाई के बारे में जानकारी ली। अदालत ने कहा पहले राज्य सरकार दो दिन के अंदर विज्ञापन देकर कोर्ट के आदेश की जानकारी दे। उन्हें बताया जाए कि फर्जी डिग्री वाले शिक्षक स्वयं पद छोड़ दें। नहीं तो परिणाम के लिए तैयार रहें। याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने बहस में कहा कि अभी तक साढ़े तीन लाख शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। इसमें से 40 हजार जाली प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षक बनने में कामयाब हो गये। इन्हें राज्य सरकार अवैध तरीके से वेतन देकर राजस्व की क्षति कर रही है।

इसके पूर्व अदालत ने निगरानी ब्यूरो से जांच कार्य के बारे में जानकारी ली। विजिलेंस के वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में नियुक्त हुए शिक्षकों का प्रमाण पत्रों का जांच करना आसान नहीं है। वैसे भी विजिलेंस के पास मैन पावर का अभाव है। वे फिलहाल तीन महीने का समय चाह रहे है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि विजिलेंस को अभी तक 3 शिक्षकों के प्रमाण पत्र में गड़बड़ी दिखाई पड़ी है। इस पर कोर्ट ने कहा कि मंत्री ने पहले स्वयं स्वीकार किया था कि उनकी नजर में 25 हजार शिक्षक फर्जी हैं लेकिन उन्हें नहीं हटाया गया। और जांच में इस तरह की बात कही जा रही है। इसी दौरान राज्य सरकार के बढ़ चला बिहार योजना की चर्चा चली। जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे प्रचार पर रोक लगाई है। राजस्व की बर्बादी हो रही है।


अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि 40 ट़कों को तैयार किया गया है जिसपर करोड़ों रूपये की बर्बादी होगी। जिस पर अदालत ने भी टिप्पणी की। कोर्ट का मानना था कि राशि को गैर अनुत्पादक कार्य में नहंी लगाया जाना चाहिए। इस मामले पर अगली सुनवाई दो दिनों के बाद होगी।

पटना। पटना हाईकोर्ट ने जाली प्रमाण पत्र के आधार पर बने शिक्षकों को एक आफर पेश किया है। मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी की खंडपीठ ने ऐसे शिक्षकों को एक सप्ताह के अंदर शिक्षक का पद छोडऩे को कहा है।
यदि ये शिक्षक अपनी स्वेच्छा से नौकरी छोड़ देते है तो उन्हें माफ कर दिया जाएगा। उन पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। ऐसे शिक्षकों पर आपराधिक मामला भी नहीं चलेगा।
लेकिन इसके बाद भी उन्हें यह आफर मंजूर नहीं है तो अंजाम के लिए उन्हें तैयार रहना पड़ेगा। यह अनोखा आदेश शायद ही कभी पारित किया गया हो।
यह आदेश सोमवार को मुख्य न्यायाधीश एवं न्यायाधीश सुधीर सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। रंजीत पंडित एवं अन्य लोंगों ने याचिका दायर कर अवैध रूप से शिक्षकों को हटाने की मांग की थी। खंडपीठ ने इस तरह के शिक्षकों पर हो रही कार्रवाई के बारे में जानकारी ली। अदालत ने कहा पहले राज्य सरकार दो दिन के अंदर विज्ञापन देकर कोर्ट के आदेश की जानकारी दे।
उन्हें बताया जाए कि फर्जी डिग्री वाले शिक्षक स्वयं पद छोड़ दें। नहीं तो परिणाम के लिए तैयार रहें। याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने बहस में कहा कि अभी तक साढ़े तीन लाख शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। इसमें से 40 हजार जाली प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षक बनने में कामयाब हो गये। इन्हें राज्य सरकार अवैध तरीके से वेतन देकर राजस्व की क्षति कर रही है।
इसके पूर्व अदालत ने निगरानी ब्यूरो से जांच कार्य के बारे में जानकारी ली। विजिलेंस के वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में नियुक्त हुए शिक्षकों का प्रमाण पत्रों का जांच करना आसान नहीं है। वैसे भी विजिलेंस के पास मैन पावर का अभाव है। वे फिलहाल तीन महीने का समय चाह रहे है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि विजिलेंस को अभी तक 3 शिक्षकों के प्रमाण पत्र में गड़बड़ी दिखाई पड़ी है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि मंत्री ने पहले स्वयं स्वीकार किया था कि उनकी नजर में 25 हजार शिक्षक फर्जी हैं लेकिन उन्हें नहीं हटाया गया। और जांच में इस तरह की बात कही जा रही है। इसी दौरान राज्य सरकार के बढ़ चला बिहार योजना की चर्चा चली। जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे प्रचार पर रोक लगाई है। राजस्व की बर्बादी हो रही है।
अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि 40 ट़कों को तैयार किया गया है जिसपर करोड़ों रूपये की बर्बादी होगी। जिस पर अदालत ने भी टिप्पणी की। कोर्ट का मानना था कि राशि को गैर अनुत्पादक कार्य में नहंी लगाया जाना चाहिए। इस मामले पर अगली सुनवाई दो दिनों के बाद होगी।
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पटना। पटना हाईकोर्ट ने जाली प्रमाण पत्र के आधार पर बने शिक्षकों को एक आफर पेश किया है। मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी की खंडपीठ ने ऐसे शिक्षकों को एक सप्ताह के अंदर शिक्षक का पद छोडऩे को कहा है।
यदि ये शिक्षक अपनी स्वेच्छा से नौकरी छोड़ देते है तो उन्हें माफ कर दिया जाएगा। उन पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। ऐसे शिक्षकों पर आपराधिक मामला भी नहीं चलेगा।
लेकिन इसके बाद भी उन्हें यह आफर मंजूर नहीं है तो अंजाम के लिए उन्हें तैयार रहना पड़ेगा। यह अनोखा आदेश शायद ही कभी पारित किया गया हो।
यह आदेश सोमवार को मुख्य न्यायाधीश एवं न्यायाधीश सुधीर सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। रंजीत पंडित एवं अन्य लोंगों ने याचिका दायर कर अवैध रूप से शिक्षकों को हटाने की मांग की थी। खंडपीठ ने इस तरह के शिक्षकों पर हो रही कार्रवाई के बारे में जानकारी ली। अदालत ने कहा पहले राज्य सरकार दो दिन के अंदर विज्ञापन देकर कोर्ट के आदेश की जानकारी दे।
उन्हें बताया जाए कि फर्जी डिग्री वाले शिक्षक स्वयं पद छोड़ दें। नहीं तो परिणाम के लिए तैयार रहें। याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने बहस में कहा कि अभी तक साढ़े तीन लाख शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। इसमें से 40 हजार जाली प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षक बनने में कामयाब हो गये। इन्हें राज्य सरकार अवैध तरीके से वेतन देकर राजस्व की क्षति कर रही है।
इसके पूर्व अदालत ने निगरानी ब्यूरो से जांच कार्य के बारे में जानकारी ली। विजिलेंस के वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में नियुक्त हुए शिक्षकों का प्रमाण पत्रों का जांच करना आसान नहीं है। वैसे भी विजिलेंस के पास मैन पावर का अभाव है। वे फिलहाल तीन महीने का समय चाह रहे है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि विजिलेंस को अभी तक 3 शिक्षकों के प्रमाण पत्र में गड़बड़ी दिखाई पड़ी है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि मंत्री ने पहले स्वयं स्वीकार किया था कि उनकी नजर में 25 हजार शिक्षक फर्जी हैं लेकिन उन्हें नहीं हटाया गया। और जांच में इस तरह की बात कही जा रही है। इसी दौरान राज्य सरकार के बढ़ चला बिहार योजना की चर्चा चली। जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे प्रचार पर रोक लगाई है। राजस्व की बर्बादी हो रही है।
अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि 40 ट़कों को तैयार किया गया है जिसपर करोड़ों रूपये की बर्बादी होगी। जिस पर अदालत ने भी टिप्पणी की। कोर्ट का मानना था कि राशि को गैर अनुत्पादक कार्य में नहंी लगाया जाना चाहिए। इस मामले पर अगली सुनवाई दो दिनों के बाद होगी।
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यदि ये शिक्षक अपनी स्वेच्छा से नौकरी छोड़ देते है तो उन्हें माफ कर दिया जाएगा। उन पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। ऐसे शिक्षकों पर आपराधिक मामला भी नहीं चलेगा।
लेकिन इसके बाद भी उन्हें यह आफर मंजूर नहीं है तो अंजाम के लिए उन्हें तैयार रहना पड़ेगा। यह अनोखा आदेश शायद ही कभी पारित किया गया हो।
यह आदेश सोमवार को मुख्य न्यायाधीश एवं न्यायाधीश सुधीर सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। रंजीत पंडित एवं अन्य लोंगों ने याचिका दायर कर अवैध रूप से शिक्षकों को हटाने की मांग की थी। खंडपीठ ने इस तरह के शिक्षकों पर हो रही कार्रवाई के बारे में जानकारी ली। अदालत ने कहा पहले राज्य सरकार दो दिन के अंदर विज्ञापन देकर कोर्ट के आदेश की जानकारी दे।
उन्हें बताया जाए कि फर्जी डिग्री वाले शिक्षक स्वयं पद छोड़ दें। नहीं तो परिणाम के लिए तैयार रहें। याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने बहस में कहा कि अभी तक साढ़े तीन लाख शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। इसमें से 40 हजार जाली प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षक बनने में कामयाब हो गये। इन्हें राज्य सरकार अवैध तरीके से वेतन देकर राजस्व की क्षति कर रही है।
इसके पूर्व अदालत ने निगरानी ब्यूरो से जांच कार्य के बारे में जानकारी ली। विजिलेंस के वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में नियुक्त हुए शिक्षकों का प्रमाण पत्रों का जांच करना आसान नहीं है। वैसे भी विजिलेंस के पास मैन पावर का अभाव है। वे फिलहाल तीन महीने का समय चाह रहे है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि विजिलेंस को अभी तक 3 शिक्षकों के प्रमाण पत्र में गड़बड़ी दिखाई पड़ी है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि मंत्री ने पहले स्वयं स्वीकार किया था कि उनकी नजर में 25 हजार शिक्षक फर्जी हैं लेकिन उन्हें नहीं हटाया गया। और जांच में इस तरह की बात कही जा रही है। इसी दौरान राज्य सरकार के बढ़ चला बिहार योजना की चर्चा चली। जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे प्रचार पर रोक लगाई है। राजस्व की बर्बादी हो रही है।
अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि 40 ट़कों को तैयार किया गया है जिसपर करोड़ों रूपये की बर्बादी होगी। जिस पर अदालत ने भी टिप्पणी की। कोर्ट का मानना था कि राशि को गैर अनुत्पादक कार्य में नहंी लगाया जाना चाहिए। इस मामले पर अगली सुनवाई दो दिनों के बाद होगी।
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यदि ये शिक्षक अपनी स्वेच्छा से नौकरी छोड़ देते है तो उन्हें माफ कर दिया जाएगा। उन पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। ऐसे शिक्षकों पर आपराधिक मामला भी नहीं चलेगा।
लेकिन इसके बाद भी उन्हें यह आफर मंजूर नहीं है तो अंजाम के लिए उन्हें तैयार रहना पड़ेगा। यह अनोखा आदेश शायद ही कभी पारित किया गया हो।
यह आदेश सोमवार को मुख्य न्यायाधीश एवं न्यायाधीश सुधीर सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। रंजीत पंडित एवं अन्य लोंगों ने याचिका दायर कर अवैध रूप से शिक्षकों को हटाने की मांग की थी। खंडपीठ ने इस तरह के शिक्षकों पर हो रही कार्रवाई के बारे में जानकारी ली। अदालत ने कहा पहले राज्य सरकार दो दिन के अंदर विज्ञापन देकर कोर्ट के आदेश की जानकारी दे।
उन्हें बताया जाए कि फर्जी डिग्री वाले शिक्षक स्वयं पद छोड़ दें। नहीं तो परिणाम के लिए तैयार रहें। याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने बहस में कहा कि अभी तक साढ़े तीन लाख शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। इसमें से 40 हजार जाली प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षक बनने में कामयाब हो गये। इन्हें राज्य सरकार अवैध तरीके से वेतन देकर राजस्व की क्षति कर रही है।
इसके पूर्व अदालत ने निगरानी ब्यूरो से जांच कार्य के बारे में जानकारी ली। विजिलेंस के वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में नियुक्त हुए शिक्षकों का प्रमाण पत्रों का जांच करना आसान नहीं है। वैसे भी विजिलेंस के पास मैन पावर का अभाव है। वे फिलहाल तीन महीने का समय चाह रहे है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि विजिलेंस को अभी तक 3 शिक्षकों के प्रमाण पत्र में गड़बड़ी दिखाई पड़ी है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि मंत्री ने पहले स्वयं स्वीकार किया था कि उनकी नजर में 25 हजार शिक्षक फर्जी हैं लेकिन उन्हें नहीं हटाया गया। और जांच में इस तरह की बात कही जा रही है। इसी दौरान राज्य सरकार के बढ़ चला बिहार योजना की चर्चा चली। जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे प्रचार पर रोक लगाई है। राजस्व की बर्बादी हो रही है।
अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि 40 ट़कों को तैयार किया गया है जिसपर करोड़ों रूपये की बर्बादी होगी। जिस पर अदालत ने भी टिप्पणी की। कोर्ट का मानना था कि राशि को गैर अनुत्पादक कार्य में नहंी लगाया जाना चाहिए। इस मामले पर अगली सुनवाई दो दिनों के बाद होगी।
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