Complaints of Human Right disobey are maximally in UP (मानवाधिकार उल्लंघन की िशकायतें सबसे ज्यादा यूपी में)
मेरठ। उत्तर प्रदेश में आम जनता के अधिकारों की
क्या स्थिति है, इसका पता राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों से साफ
चलता है। आरटीआई में आयोग ने जो आंकड़े दिए हैं, उसके अनुसार पिछले पांच
सालों में जितनी शिकायतें अकेली यूपी से आई हैं। उतनी पूरे देश के अन्य
राज्यों की कुल मिलाकर भी नहीं हुई हैं। यही नहीं इन शिकायतों पर होने वाली
कार्रवाई की संस्तुति का आंकड़ा भी सबसे ज्यादा है। पूरे देश में 106
मामलों में कार्रवाई की संस्तुति हुई, जिसमें 46 मामले यूपी से हैं।
आरटीआई
एक्टिविस्ट लोकेश खुराना ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से आठ बिंदुओं पर
सूचना मांगी थी। इसमें जो आंकड़े प्राप्त हुए वो चौंकाने वाले हैं। उत्तर
प्रदेश में पिछले साढ़े चार सालों में ढाई लाख से ज्यादा मानवाधिकार
उल्लंघन की शिकायतें गईं। चौंकाने वाली बात ये है कि ढाई लाख में से एक लाख
से ज्यादा शिकायतें पुलिस विभाग के खिलाफ हैं।
शिकायतों
के प्राप्त आंकड़े : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने देश के 36 राज्यों से
प्राप्त शिकायतों का आंकड़ा भेजा है। ये शिकायतें 1 जनवरी 2010 से 1 जून
2015 के बीच हुई हैं। 36 राज्यों से 5,26,190 शिकायतें मिलीं, जिनमें से
उत्तर प्रदेश से 2,61,280 शिकायतें प्राप्त हुईं। इनमें से 108287 अकेले
पुलिस विभाग से हैं। उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा नंबर हरियाणा का है, जहां
से 42,077 शिकायतें हैं। तीसरे नंबर पर दिल्ली है, जहां से 39,920 शिकायतें
आईं। वहीं सबसे कम शिकायतें सिक्किम से मात्र 63 हुई। उसके बाद
लक्ष्यद्वीप से 69 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। गुजरात से 8207 शिकायतें मिली
हैं। जबकि हाल ही में राज्य बने तेलंगाना से अभी तक एक भी शिकायत आयोग को
प्राप्त नहीं हुई है।
सबसे ज्यादा लंबित मामले यूपी के
इस
समय आयोग में जितने मामले लंबित हैं, उनमें भी यूपी सबसे आगे है। इस समय
कुल 37,500 मामले लंबित हैं, जिनमें यूपी के 14,794 मामलों में इस समय
सुनवाई चल रही है। मतलब साफ है कि वर्तमान में भी करीब 40 प्रतिशत मामले
अकेले यूपी से हैं।